Sunday, 1 November 2020

Hindi Kavita

 बावजूद जान-पहचान, कुछ लोग दिखाते थे बेरुखापन,

थोड़ा मेरा नाम क्या हुआ, वो भी जताने लगे अपनापन!
जो थे दिल के करीब, सही मायने में अपने,
उन्होंने तो सर ही बिठा लिया,
फ़न के फ़क्र से नादान मत बन बंदे,
पाक दिल से अदा कर रब का शुक्रिया!!

आकांक्षा

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