Thursday, 1 October 2020

Hindi Kavita

 मेरे ख्यालों के हमसफ़र,,,,,

तुम इस तरहा मेरे साथ चले,,
साये के साथ जैसे जिस्म बेखबर चले,,,
इतना भी क्या काम है,
की तुम शरीक ए सफर रहे,,,
जितना भी चले मेरे साथ चले,,
हम आके एक मोड़ पे  ऎसा लगा,,
कितनी अधूरी हसरतें लेके यूँही घर  चले,
प्रदन्या',,,,,,,,,,,,,,,

तुम से शुरू ,,,
तुम्ही पे ख़त्म ,,
इतनी छोटीसी है मेरी जिंदगी ,,,
और तुम इस दुनिया में ,,,हर तरफ ,,
कोने कोने में ,,,
मेरे हर ख्वाब में ..
मेरे हर तसव्वुर में ,,
मेरी हर साँस में ,,,
थोडा सा तो पलट कर देखा होता ...
महेसुस किया होता ,,,
मेरे अनकहे अहेसासों को ..
मेरे जज्बात और तुम्हारी आरजू ,,,
पूरी किये बिना ही  तुम गुम हो गए ,,,,
न जाने कहाँ ....
मेरी छोटी सी जिंदगी को अधुरा छोड़कर ,,,,

प्रज्ञा,,,,,

No comments:

Post a Comment