उसका आना जैसें ठंडी हवा का झोका, दिल को कुछ सुकूनसा दे गया!
तलाश तो थी साहिलकी, अफाकसा कुछ मिल गया!
उसकी एक मुस्कुराहट दिल का मरहम बन गयी!
उसकी एकही आहट दिलमें जानसी कुछ फुंक गयी!
कुछ लम्हे बटोरतें बटोरतें, पुरी कायनात का सफर हो गया!
खो क्या गया था, ढुंड क्या रहें थें,
खुदको आईनाही दिख गया!
K. Vrishali
No comments:
Post a Comment