अक्सर तुम कहते थे।
“अच्छा
होता हम मिले ना होते!”
मैं कहता
थी ...
“मिलकर…
इतना बुरा भी तो नहीं लगा!”
अक्सर
तुम कहते थे
कि मैं
बहुत बुरा हूँ
और उसी
वक़्त मेरे कंधे पर ..
तुम्हारा
सिर रख देना
सारा
व्याकरण बिगाड़ देता था।
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मुझे मोक्ष की नहीं मोह की प्यास है।
तुम मेरे
होठों पर रहो बासुरी की तरह।
यों ही
गूँजते रहें प्रेम का स्वर
यों ही
ताकती रहू तुम्हें,
यों ही
होता रहे प्रेम का मृत्युंजय जाप
कि बजती
रहे प्रेम की बाँसुरी
मैं
सुनते रहूँ मैं जन्मों तक..
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तुम्हारा अक्स ,,,तुम्हारा साया
नए पुराने रिश्तों का एक अछूता मेल
यादों के भटके हुवे जुगनू
सफ़ेद कागज पर चंद अधूरे लफ्ज
ख्वाबों का जमावड़ा
कुछ जिंदा उमीदें
मगर ये क्या ????
कुछ लिख नहीं पा रही हूँ मै
न जाने कबसे खामोश है लफ्ज
शायद खुद से छूटने का और ..
तुम तक पहुँचने का रास्ता है
तुम लफ्जों दुनिया में कही खो गए हो ..
By
Pradnya Rasal
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