Friday, 22 February 2019

एक कविता

कुछ पंखतियाँ उन लोगों के नाम,
जो करते हैं लड़कियों , औरतों को बदनाम .
कुछ गुस्ताखियाँ आपके अपनों ने भी की होगी,
क्या उनको भी यही सजा मिली होगी ?
जो पहनती हैं मीडीस,जीन्स और शॉर्ट्स ,
मिलती हैं फ्रेंड्स को और पीती हैं शॉट्स.
लगता उनपर हमेशा ये लेबल,
ये तो हैं हमारे लिए ईज़िली अवेलेबल.
जो हंसी तो फसी ये है नया फंडा,
मिली नहीं तो कहते हैं करैक्टर है गंदा.
जिसे बेहेन बोले पहले,उसी को कहते हैं कहो मुझे जान,
क्या ये सब कहते वक्त ,ना लड़खड़ाई इनकी जुबां?
कुछ तो लोग कहेंगे,लोगों का काम है कहना,
पर क्या किसीने ये सोचा ?
कितने घर टूटे, भीगे कितने नैना ????
कभी तो इनका अंत होगा,कोई तो ऐसा संत होगा,
जो समझे ये नारियां हैं अच्छी,होती हैं इनकी बाते भी सच्ची.
है हर कोई अपने पापा की प्यारी,
एक दिन पड़ेंगी ऐसे मर्दों पे भारी.
करलो चाहे जितना भी इन्हे बदनाम,
सुनीता , सायना के आगे जुड़ेंगे और भी कई नाम.

By

Sarala Bhagat,

Dombivli, India

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