मैं चाहती हूँ कि तुम यह एक बात जान लो
तुम जानते हो कि यह सब कैसे हुआ
यदि मैं अपनी खिड़की से धीरे-धीरे उतरते वसंत में
लाल टहनी पर टंगे चमचमाते चाँद की ओर देखती हूँ
अगर मैं आतिशदान में पड़ी राख को छेड़ती हूँ
या कि झुर्रियों में तब्दील हो चुके लट्ठे को
हर चीज मुझे तुम्हारी ओर खींचकर ले जाती है
गोया कि हर जो चीज अस्तित्व में है,
खुशबू, धूप, धातुएँ
सब छोटी-छोटी कश्तियाँ हैं
जो तैरती हुई तुम्हारे उस द्वीप की ओर जाती हैं
जो मेरा इंतजार कर रहा है।
चलो अब
अगर तुम थोड़ा-थोड़ा करके मुझे प्रेम करना बंद कर रहे हो
तो मुझे भी तुम्हे थोड़ा-थोड़ा करके प्यार करना बंद कर देना चाहिए।
यदि तुम एकाएक मुझे भूल जाओ तो मुझे मत ढूँढना
क्योंकि तब तक मैंने तुम्हें थोड़ा-थोड़ा करके
प्यार करना बंद कर दिया है।
यदि तुम इस पर गहराई से सोचते हो और पागल हो उठते हो
मेरी जिंदगी के मकामों से जो हवा गुजरती है
और तुम निर्णय लेते हो
मुझे दिल के उस तट पर छोड़ देने का,
जहाँ मेरी जड़ें जमी हुई हैं।
याद रखना
कि उस दिन
उस वक्त में
मैं अपनी बाहें उठाउँगी और जड़ें उखड़ आएँगी
कोई और जमीन तलाशने के लिए।
किंतु,
यदि हर दिन,
हर वक्त
तुम सोचते हो कि तुम मेरी नियति हो
यदि हर दिन एक फूल तुम्हारे होठों की
अतुलनीय मिठास पाने के लिए उमग कर एड़ियाँ उठाता है
ओह, मेरे प्यार, मेरे अपने,
मेरे अंदर वह पूरी आग फिर दोहराई जा रही है
मुझमें कुछ भी बुझा नहीं है, कुछ भूला नहीं है,
मेरी प्रिय, मेरा प्यार तुम्हारे प्यार के दम पर जिंदा है,
और जब तक तुम जिंदा रहोगे यह तुम्हारे आगोश में रहेगा,
मुझे छोड़े बगैर।
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तुम्हारा नाम लिखना चाहती था
पर उस ख़त को पुरवा बयार ले उड़ी
मैं प्यार नहीं लिख पायी
पर वह प्यार भावनाओं में बिखरा
उस ख़त के साथ है
मुझे यकीन है एक दिन वह तुम्हारे पास पहुँचेगा
तब तुम शब्द मत पढ़ना
भाव देखना
तुम्हें प्रेम की एक पूरी कविता दिखेगी
और दिखेगा सतरंगी आकाश
एक कलकल बहती नदी दिखेगी
और एक फूला हुआ पलाश
तुम्हें एक अतीत दिखाई देगा
और दिखेगा आभास
प्रेम ऐसा ही दिखता है
शायद तुम्हें मैं भी दिखूँ
तुम शब्द मत पढ़ना
भाव देखना
क्योंकि ख़त खाली है
और मैं भी ..........
By
Pradnya Rasal
India
पर उस ख़त को पुरवा बयार ले उड़ी
मैं प्यार नहीं लिख पायी
पर वह प्यार भावनाओं में बिखरा
उस ख़त के साथ है
मुझे यकीन है एक दिन वह तुम्हारे पास पहुँचेगा
तब तुम शब्द मत पढ़ना
भाव देखना
तुम्हें प्रेम की एक पूरी कविता दिखेगी
और दिखेगा सतरंगी आकाश
एक कलकल बहती नदी दिखेगी
और एक फूला हुआ पलाश
तुम्हें एक अतीत दिखाई देगा
और दिखेगा आभास
प्रेम ऐसा ही दिखता है
शायद तुम्हें मैं भी दिखूँ
तुम शब्द मत पढ़ना
भाव देखना
क्योंकि ख़त खाली है
और मैं भी ..........
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Pradnya Rasal
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Pradnya Rasal.....Nagar
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